गुरुवार, 27 सितंबर 2012

ख्वाब सोए हैं जहाँ


थोडा धीरे से आना इस तरफ 
यहाँ मेरे ख्वाब सो रहे हैं 
अभी थपकी देकर सुलाया है उन्हें
कच्ची नींद में न जगाना
बहुत लम्बी यात्रा की थकन है 
सुस्ता लेने दो कुछ देर 
अभी उनके हिस्से 
बाकि हैं बहुत से काम
जब जागेंगे इस बार 
नया करघा बनाना है 
इस बार कुछ नए रंग मंगाने हैं 
कुछ महीन करनी है बुनाई 
थोडा और पारङ्गत होना है उन्हे इस बार 
बुनना है और बहुत से नए ख्वाब