माँ बताती थी
आसमान से घर की बाखर में गिरी थी मैं
ऐन माँ की आँखों के सामने
और उन्होंने गोद में उठा लिया था मुझे
जन्म की कथा तो माँ ही जानती हैं
कितने ही आसमानों से गिरी हूँ जाने कितनी बार
माँ ने हर बार भर लिया बाँहों में
दिया दुलार
मेरे लिए यह दुनिया
घर की बाखर है
जिसमे लगाती हूँ दौड़ निःसंकोच
खेलती हूँ, हंसती हूँ गाती हूँ
आसमान को छूने की जिद ठाने हूँ
पिता सीढी ले आते हैं
माँ साया बन साथ रहती है